Connect with us

नमनः शहीद का पार्थिव शरीर 38 साल बाद पहुंचा हल्द्वानी, सीएम धामी सहित कई दिग्गज देने पहुंचे श्रद्धांजलि…

उत्तराखंड

नमनः शहीद का पार्थिव शरीर 38 साल बाद पहुंचा हल्द्वानी, सीएम धामी सहित कई दिग्गज देने पहुंचे श्रद्धांजलि…

Uttarakhand News: उत्तराखंड के हल्द्वानी में आज शोक की लहर है। हल्द्वानी में आज सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन में दबकर शहीद हुए लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर 38 साल बाद उनके घर पहुंच गया है। जवान को अंतिम विदाई  देने जहां जन सैलाब उमड़ पड़ा है। स्थानीय लोगों ने उनके सम्मान में और श्रद्धांजलि देने के लिए पूरी गली को ही तिरंगामय कर दिया है। तो वहीं परिजनों की आंखे नम हुई तो वहीं भारत माता के जयकारों से क्षेत्र गूंज उठा।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार शहीद लांस नायक चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर हल्द्वानी पहुंच गया है।  इस दौरान भारत माता के जयकारों से इलाका गूंज उठा था , सेना के अधिकारियों के अलावा प्रशासनिक अधिकारियों ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए। बताया जा रहा है कि अंतिम विदाई देने के लिए फूलों से सजी गाड़ी भी तैयार की गई थी। पार्थिव शरीर के घर पर पहुंचते ही पूरा माहौल गमगीन सा हो गया, शहीद चंद्रशेखर हर्बोला की पत्नी शांति देवी अपने पति के पार्थिव शरीर को देखकर रो पड़ी और उस समय का माहौल पूरी तरह से भावुक हो गया, वहां मौजूद तमाम लोगों की आंखों में गम के आंसू तो शहीद की शहादत पर गर्व देखने को मिला।

यह भी पढ़ें 👉  सुश्री राधा भट्ट को पद्म श्री से सम्मानित किए जाने पर मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की

बताया जा रहा है कि शहीद चंद्रशेखर हरबोला का पार्थिव शरीर उनके पारिवारिक निवास स्थान  पहुंचने से पहले ही यहां हजारों की संख्या में लोग अंतिम विदाई देने के लिए मौजूद थे। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला को श्रद्धांजलि अर्पित की, और शहीद चंद्रशेखर की वीरांगना पत्नी को ढांढस बंधाई तो वहीं कैबिनेट के कई मंत्री विधायकों के अलावा गणमान्य लोगों ने शहीद चंद्रशेखर को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

यह भी पढ़ें 👉  रुद्रप्रयाग में “नमामि गंगे” कार्यक्रम की भव्य शुरुआत, योग, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश

गौरतलब है कि मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील अंतर्गत बिन्ता हाथीखुर गांव निवासी लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला 1971 में कुमाऊं रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। मई 1984 को बटालियन लीडर लेफ्टिनेंट पीएस पुंडीर के नेतृत्व में 19 जवानों का दल ऑपरेशन मेघदूत के लिए निकला था। 29 मई को भारी हिमस्खलन से पूरी बटालियन दब गई थी, जिसके बाद उन्हें शहीद घोषित कर दिया गया था। उस समय लांसनायक चंद्रशेखर की उम्र 28 साल थी। सबने उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन अचानक शनिवार रात शहीद की पत्नी शांति देवी को फोन से जानकारी मिली कि शहीद लांसनायक चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर ग्लेशियर से बरामद हुआ है।

यह भी पढ़ें 👉  सीएम धामी ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस पर परेड ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग किया
Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखंड

उत्तराखंड

उत्तराखंड

ADVERTISEMENT

Advertisement

ट्रेंडिंग खबरें

To Top