Connect with us

टिहरी की ऐतिहासिक रामलीला महोत्सव देहरादून 2025 में टिहरी के कलाकारों ने बांधा समां

उत्तराखंड

टिहरी की ऐतिहासिक रामलीला महोत्सव देहरादून 2025 में टिहरी के कलाकारों ने बांधा समां

टिहरी गढ़वाल: रेसकोर्स स्थित श्री गुरुनानक मैदान में 22 सितंबर से 3 अक्टूबर तक आयोजित “टिहरी की ऐतिहासिक रामलीला महोत्सव देहरादून – 2025” में टिहरी के कलाकारों ने अपने उत्कृष्ट अभिनय और मंचीय कौशल से दर्शकों का दिल जीत लिया। प्रत्येक दृश्य में उनकी प्रतिभा, समर्पण और परंपरा के प्रति प्रेम झलकता रहा।

जयेंद्र मोहन पाण्डेय (मोंटी) जी ने रावण के दूत, दशरथ मंत्री, जनक मंत्री, ताड़का मंत्री, सुबाहु, बाणासुर, परशुराम, खर, निषाद राज केवट, रावण मुनि, मारीच, सुग्रीव, सुषेण वैद्य और वशिष्ठ जैसे अनेक पात्रों को जीवंत कर अपनी बहुमुखी प्रतिभा का परिचय दिया।

यह भी पढ़ें 👉  रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी और बागेश्वर के कुछ क्षेत्रों में बादल फटने की सूचना पर मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों से जानकारी ली

शिवम गिरी ने लक्ष्मण के मुख्य किरदार में ऐसी ऊर्जावान और भावनात्मक प्रस्तुति दी कि दर्शक “जय लक्ष्मण जी” के जयकारों से गूंज उठे। उन्होंने भाईचारे, निष्ठा और वीरता के भाव को बड़ी बारीकी से मंच पर उतारा। साथ ही नारद और ब्रह्मा के रूप में भी उनके सहज संवाद और जीवंत अभिनय ने मंच को भक्ति और हास्य के रंगों से भर दिया। शिवम गिरी का प्रदर्शन इस वर्ष की रामलीला के सर्वश्रेष्ठ अभिनय में गिना जा रहा है।

यह भी पढ़ें 👉  “ग्रीन दून – क्लीन दून” विषय पर विशाल दौड़ एवं स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन

गबर राम ने भरत के महत्वपूर्ण किरदार में गहरी छाप छोड़ी और राम सेना व रावण सेना दोनों में अपने दमदार अभिनय से सभी का ध्यान खींचा।
जितेंद्र कुमार घई ने ताड़का और मेघनाद के जोशीले किरदारों से दर्शकों की खूब सराहना पाई।
महंत गोपाल गिरी और चरण सिंह नेगी ने भाट के रूप में हास्य और व्यंग्य से भरी जीवंत प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोह लिया।
अमित बहुगुणा ने अंगद के किरदार में अपनी दमदार आवाज़ और आत्मविश्वासपूर्ण मंच उपस्थिति से दर्शकों की वाहवाही लूटी।
वहीं तपेन्द्र चौहान ने हनुमान जी के रूप में ऐसा सजीव अभिनय किया कि पूरा मैदान “जय बजरंगबली” के नारों से गूंज उठा।

यह भी पढ़ें 👉  125 की हुई जांच, मेडिकल कॉलेज श्रीनगर की विशेषज्ञ टीम ने दी सेवा

इस ऐतिहासिक रामलीला में टिहरी के कलाकारों की मेहनत, निष्ठा और कला ने यह सिद्ध कर दिया कि टिहरी की सांस्कृतिक परंपरा आज भी उतनी ही सशक्त और प्रेरक है, जितनी सदियों पहले थी।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More in उत्तराखंड

उत्तराखंड

उत्तराखंड

ADVERTISEMENT VIDEO

Advertisement
Advertisement

ट्रेंडिंग खबरें

ADVERTISEMENT

Advertisement
Advertisement
To Top